Mushroom farming मशरूम की मांग अधिक हो गयी है मशरूम की खेती कर आप काम समय में लाखो कमा सकते है देखे पूरी जानकारी
Mushroom farming : इन दिनों बाजार में मशरूम (mushroom) की मांग बहुत ज़्यादा हो गई है। मशरूम में कई तरह के पौष्टिक गुण पाये जाने के कारण लोग इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। किसानों के लिए मशरूम की खेती (mushroom farming) एक अच्छा विकल्प है। यदि आपके पास जमीन नहीं है फिर भई मशरूम की खेती बड़े आसानी से कर सकते हैं। यदि आप शहर में रहते हैं तो आप अपने कमरे में भी मशरूम को उगा सकते हैं।
छोटे हो बड़े किसान हर तबके के किसानों के लिए मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) एक बेहतर विकल्प है क्यूंकि इसमें किसानों को ज़्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं है। भूमिहीन किसीन भी आसानी से खेती कर सकते है। मशरूम की खेती में जमीन की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए आप खेती के अवशेषों जैसे- पुआल, भूसा का प्रयोग कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
मशरूम के प्रकार
ऐसे तो विश्व में मशरूम (mushroom) की हजारों प्रजातियां है, लेकिन बहुत ही कम मशरूम खाने योग्य होते हैं। व्यवसायिक तौर पर बहुत ही कम तरह के मशरूम उगाए जाते हैं।
जैसे-
बटन मशरूम (button mushroom)
शिटाके मशरूम (Shiitake Mushrooms)
ऑयस्टर मशरूम (Oyster mushrooms)
मिल्की मशरूम (Milky Mushroom)
पुआल मशरूम (straw mushroom)
क्रेमिनि मशरूम (Cremini Mushrooms)
एनोकी मशरूम (Enoki mushroom)
पोर्सिनी मशरूम (Porcini Mushrooms) आदि।
मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) पर एक नज़र
मशरूम का दुनिया भर में बढ़ रही है मांग
पहले मशरूम (mushroom) की मांग सिर्फ शहरों में थी लेकिन गांव के छोटे बाजारों तक पहुंच चुका है। मशरूम की मांग बढ़ने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ा है। इसकी उपज से कई किसानों की आय अच्छी हो गई। आर्थिक स्थिति अच्छी होने से छोटे किसान भी अब बड़ी मात्रा में इसकी खेती करने लगे हैं। लेकिन अभी भी ऐसे कई जगह है जहां पर मशरूम नहीं मिलता। इसी समस्या को दूर करने के लिए अब मशरूम के प्रोसेस्ड (सुखाया हुआ जो बाजारों में पैक मिलता) मिलने लगे हैं, ताकि लोगों को आसानी से मिल जाय।
इस विधि के द्वारा मशरूम को लंबे वक्त तक खाने लायक बनाया जाता है. जिन इलाकों में मशरूम नहीं मिलते वहीं पर प्रोसेस्ड मिलते हैं। इसके अलावा जहां आसानी से मिल जाता है, वहां हर समय मिल सके, इसके लिए भी प्रोसेस्ड प्रोडक्ट बनाया जाता है।
मशरूम से बनाए जाते हैं कई तरह की उत्पाद
मशरुम (mushroom) का इस्तेमाल सिर्फ सब्जी बनाने में ही नहीं बल्कि इसका इस्तेमाल पापड़ और अचार बनाने में भी किया जाता है। मशरूम से बने पापड़ और आचार बहुत महंगे बिकते हैं। किसी फल या सब्जी को एक वक़्त तक ही हम उस खराब होने से बचा सकते हैं। यही वजह है कि इसे प्रसंस्कृत किया जाता है। ताकि उसे लंबे वक़्त तक रखा जा सके।
मशरूम को प्रसंस्कृत (processed) कर अचार, पापड़, कुकीज और मशरूम की बड़ियां भी बनाई जाती है।
मशरूम खाने के फायदे
मशरूम (mushrooms) स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों में से एक है। मशरूम खाने के अनगिनत फायदे हैं। मशरूम खाने से ब्लड शुगर का लेवल सही रहता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन-D होता है जिससे हड्डियों की मजबूती मिलती है। इससे शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत मिलती है। मशरूम खाने से बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने और वजन घटाने में मदद मिलती है।
मशरूम की खेती में लागत और कमाई
कम खर्च में बेहतर कमाई के लिए मशरूम की खेती (mushroom farming) एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए बड़े खेत की जरूरत नहीं होती है। एक कमरा में भी इसकी खेती की जा सकती है। ये उन किसानों के लिए और भी ज़्यादा किफायती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। इसका सबसे बड़ा फायदा है खर्च से तीन गुना कमाई होता है।
एक साल में सिर्फ एक कमरे में ही उपजाकर 3 से 4 लाख रुपए कमा सकते हैं। वहीं इसमें 50 से 60 हजार का लागत आता है। मशरूम को गेहूं और सोयाबीन की भूसे से भी मशरूम को उगा सकते हैं। एक साल में सुबह-शाम एक-एक घंटे देने के बाद भी 3 लाख रुपए का इनकम हो सकती है। एक साल में अगर आप सुबह शाम 1 घंटे भी देंगे तो अच्छा मुनाफा होगा। यह मशरूम 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाते हैं।
क्यों करें मशरूम की खेती
मशरूम की खेती में न ज़्यादा खर्च है ना ही इसमें आपको बड़ी ज़मीन की जरूरत होती है। इसकी खेती करने के लिए बहुत सारे ट्रेंनिग केंद्र भी जैसे- राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केन्द्र शिमला, इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यायल रायपुर के अलावा अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जहां से आप प्रशिक्षण लेकर मशरूम की खेती की शुरूआत कर सकते हैं।
मशरूम की खेती के लिए मिलती है सब्सिडी
मशरुम उत्पादन को सरकार काफी बढ़ावा दे रही है। यदि आप व्यवसायिक या रोजगार की दृष्टि से मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो आप सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए किसानों को 40-50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए जिले स्थित कृषि विज्ञान केंद्र या नजदीकी पशुपालन विभाग से संपर्क करें।
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